इमाम हसन और इमाम हुसैन जन्नती जवानों के सरदार हैं
इमाम हसन व इमाम हुसैन से मुहब्बत करना जरूरी : मुफ्ती अज़हर शम्सी
रहमतनगर में बांटा गया लंगरे हुसैनी व लस्सी
गोरखपुर। माहे मुहर्रम की पहली तारीख़ से शहर की विभिन्न मस्जिदों में जारी महफिल ‘जिक्रे शोह-दाए-कर्बला’ के तहत चौथी मुहर्रम गुरुवार को कर्बला का वाकया बयान हुआ। जिसे सुनकर लोग गमगीन हो गए। अकीदतमंद क़ुरआन ख्वानी व फातिहा ख्वानी के जरिए शोह-दाए-कर्बला को खिराजे अकीदत पेश कर रहे हैं।
सुन्नी बहादुरिया जामा मस्जिद रहमतनगर के निकट अली बहादुर शाह यूथ कमेटी द्वारा सैकड़ों लोगों में लंगरे हुसैनी बांटा गया। लंगर बांटने में अली गजनफर शाह, काशिफ़ कुरैशी, आसिफ, मो. कासिम, आरिफ, शहजादे, अली अशहर, सैफ, मो. अनस, शीबू अली, सरफराज, अमन, रेहान, आसिफ अली, तनवीर अहमद, रियाज अली आदि शामिल रहे। वहीं गौसे आज़म फाउंडेशन के जिलाध्यक्ष समीर अली, मो. फैज, मो. ज़ैद, रियाज अहमद, अमान अहमद, नूर मोहम्मद दानिश, मो. शारिक, मो. ज़ैद कादरी, एहसन खान, वसीम अहमद, हाजी नफीस ने कर्बला के शहीदों की याद में लस्सी बांटी।
रहमतनगर, घासीकटरा, गाजी रौजा, खोखर टोला, इलाहीबाग आदि मोहल्ले से चौथी मुहर्रम का जुलूस निकला। विभिन्न मोहल्लों में बच्चे व बड़े ऊंट की की सवारी करते नजर आए। हलवा पराठा भी खूब बिक रहा है।
मकतब इस्लामियात चिंगी शहीद इमामबाड़ा तुर्कमानपुर में नायब काजी मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी ने कहा कि पैगंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया हसन और हुसैन जन्नती जवानों के सरदार हैं। जिसने हसन और हुसैन से मुहब्बत की तो उसने मुझसे मुहब्बत की और जिसने उन दोनों से दुश्मनी की उसने मुझसे दुश्मनी की। एक जगह पैग़बरे इस्लाम ने इरशाद फरमाया कि जिसने इन दोनों को महबूब रखा उसने मुझको महबूब रखा और जिसने मुझको महबूब रखा उसने अल्लाह को महबूब रखा और जिसने अल्लाह को महबूब रखा अल्लाह उसको जन्नत में दाखिल करेगा। जिसने इन दोनों से नफ़रत की उसने मुझसे नफ़रत की। जिसने मुझसे नफ़रत की उसने अल्लाह से नफ़रत की। जिसने अल्लाह से नफ़रत की अल्लाह उसको जहन्नम में दाखिल करेगा।
गाजी मस्जिद गाजी रौजा में मुफ्ती-ए-शहर अख्तर हुसैन मन्नानी ने कहा कि कर्बला के मैदान में जबरदस्त मुकाबला हक़ और बातिल के बीच शुरू हुआ। तीर, नेजा और शमशीर के बहत्तर जख्म खाने के बाद इमाम हुसैन सजदे में गिरे और अल्लाह का शुक्र अदा करते हुए शहीद हो गए। करीब 56 साल पांच माह पांच दिन की उम्र शरीफ में जुमा के दिन मुहर्रम की दसवीं तारीख़ सन् 61 हिजरी में इमाम हुसैन ने इस दुनिया को अलविदा कहा। साहबजादगाने अहले बैत (पैगंबरे इस्लाम के घराने वाले) में से कुल सत्रह हज़रात हज़रत इमाम हुसैन के हमराह हाजिर होकर रुतबा-ए-शहादत को पहुंचे। कुल 72 अफराद ने शहादत पाई। यजीदी फौजों ने बचे हुए लोगों पर बहुत जुल्म किया।
रसूलपुर जामा मस्जिद में मौलाना जहांगीर अहमद अजीजी ने कहा कि हज़रत सैयदना इमाम हुसैन व उनके जांनिसार साथियों ने कर्बला के मैदान में अज़ीम कुर्बानी दी और दीन-ए-इस्लाम को बचा लिया।
गौसिया जामा मस्जिद छोटे काजीपुर में मौलाना मोहम्मद अहमद निजामी ने कहा कि कर्बला की जंग यही बताती है कि हज़रत सैयदना इमाम हुसैन हक़ के लिए शहीद हुए। मुहर्रम सच के लिए शहीद हो गए इमाम हुसैन को याद कर उनके बताए रास्ते पर चलने के वादा करने का दिन है। हज़रत सैयदना इमाम हुसैन और उनके साथियों की तादाद सौ से भी कम थी, जबकि यजीद के फौजी हजारों के तादाद में थे फिर भी उन लोगों ने हार नहीं मानी और पूरी बहादुरी के साथ लड़े उनकी बहादुरी से एक बारगी तो यजीद के फौजियों के दिल भी दहल गये। सबसे आखिर में लड़ते-लड़ते इमाम हुसैन ने सजदे में अपना सर कटा दिया। इससे पहले अपने तमाम साथियों को अपनी आंखों से उन्होंने शहीद होते देखा। वह तारीख थी 10वीं मुहर्रम। मुहर्रम में उस अज़ीम कुर्बानी को याद करके इमाम हुसैन की बारगाह में खिराजे अकीदत पेश किया जाता है
मरकजी मदीना जामा मस्जिद रेती चौक में मुफ्ती मेराज अहमद कादरी ने कहा कि हज़रत इमाम हुसैन ने नाना की उम्मत की खातिर शहादत कबूल की।
मुकीम शाह जामा मस्जिद बुलाकीपुर में मौलाना फिरोज ने कहा कि कर्बला की जंग में हज़रत इमाम हुसैन ने संदेश दिया कि हक़ कभी बातिल से नहीं डरता। हर मोर्चे पर जुल्म व सितम ढ़ाने वाले बातिल की शिकस्त तय है। हज़रत इमाम हसन हुसैन ने इस्लाम व सच्चाई की हिफाजत के लिए खुद व अपने परिवार को कुर्बान कर दिया, जो शहीद-ए-कर्बला की दास्तान में मौजूद है। हम सब को भी उनके बताए रास्ते पर चलने की जरूरत है। अंत में सलातो-सलाम पढ़कर दुआ मांगी गई। शीरीनी बांटी गई।
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