तीन तलाक के खिलाफ कानून को लेकर मुस्लिम महिलाओं के समर्थन का दावा करने वाली भाजपा अब उन्हें लुभाने के लिए नया मुद्दा लेकर आई है। यह मसला है- समान नागरिक संहिता का, जिस पर पार्टी जोर देगी।
तीन तलाक के खिलाफ कानून को लेकर मुस्लिम महिलाओं के समर्थन का दावा करने वाली भाजपा अब उन्हें लुभाने के लिए नया मुद्दा लेकर आई है। यह मसला है- समान नागरिक संहिता का। भाजपा का कहना है कि देश में सभी के लिए एक कानून होने से मुस्लिम महिलाओं को लाभ होगा। भाजपा इस प्रचार के साथ मुस्लिम महिलाओं के बीच जाने की तैयारी में है। इसके लिए पार्टी का अल्पसंख्यक मोर्चा प्लान तैयार कर रहा है। पार्टी का कहना है कि अल्पसंख्यक तबके के पेशेवर लोगों और बुद्धिजीवियों के बीच जाएगी और उन्हें बताएगी कि समान नागरिक संहिता लागू होने से क्या फायदे हो सकते हैं। खासतौर पर महिलाओं को इससे क्या अधिकार हासिल होंगे।
भाजपा अपनी स्थापना के दौर से ही समान नागरिक संहिता, राम मंदिर और जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने को अपना कोर मुद्दा बताती रही है। इन तीन में से राम मंदिर और आर्टिकल 370 पर भाजपा अपना वादा पूरा करने की बात कहती है और अब समान नागरिक संहिता पर उसका जोर है। भाजपा को लगता है कि इस मुद्दे से उसका वैचारिक आधार भी बना रहेगा और वह ध्रुवीकरण के लिए जरिए विपक्ष को जवाब भी दे सकेगी। भाजपा अल्पसंख्यक मोर्च के एक नेता ने कहा, ‘जिस तरह मामूली विरोध के साथ ही आर्टिकल 370 हटा दिया गया था, उसी तरह शांति से समान नागरिक संहिता भी लागू हो जाएगी।’
पार्टी का कहना है कि तीन तलाक पर कानून बनाकर हमने मुस्लिम महिलाओं को उनका हक दिलाया है। अब उन्हें मनमाने ढंग से उनका शौहर छोड़ नहीं सकेगा और वाजिब हक उन्हें मिल सकेंगे। इसी तरह समान नागरिक संहिता लागू होने से उन्हें संपत्ति में बराबर का हक मिलेगा। इसके अलावा निसंतान मुस्लिम दंपतियों के लिए बच्चों को गोद लेना भी आसान होगा। अल्पसंख्यक मोर्चे के एक नेता ने कहा कि फिलहाल भारत में मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत किसी मुसलमान शख्स को 4 पत्नियां रखने का भी हक है। यदि समान नागरिक संहिता लागू हुई तो वे ऐसा नहीं कर सकेंगे और यह महिलाओं के हक में होगा।
बता दें कि 14 जून को आई विधि आयोग की रिपोर्ट में समान नागरिक संहिता लागू करने की सिफारिश की गई है। इसके अलावा समान नागरिक संहिता पर जनता से उनकी राय भी मांगी गई है। इस बीच राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा 2024 के आम चुनाव से पहले इस मसले पर जोर दे सकती है। पार्टी को लगता है कि इसके जरिए ध्रुवीकरण का एक माहौल बनेगा और विपक्ष की एकता की कोशिशों से निपट सकेगी। भाजपा का कहना है कि संविधान के नीति-निर्देशक सिद्धांतों में भी समान नागरिक संहिता लागू करने की बात है।
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