यूपी की योगी सरकार ने राजस्व परिषद में चकबंदी के विलय का प्रस्ताव टाल दिया है। चकबंदी के अब सरप्लस 2819 कर्मियों का राजस्व विभाग में प्रतिनियुक्ति व सेवा स्थानांतरण के आधार पर भेजा जाएगा।
राज्य सरकार ने राजस्व परिषद में चकबंदी के विलय का प्रस्ताव टाल दिया है। चकबंदी के अब सरप्लस 2819 कर्मियों का राजस्व विभाग में प्रतिनियुक्ति व सेवा स्थानांतरण के आधार पर भेजा जाएगा। पहले तीन साल और फिर बाद में दो साल के लिए इसे बढ़ाया जाएगा। राजस्व विभाग ने शासनादेश जारी कर दिया है। इनमें 489 कनिष्ठ सहायक, 1530 चकबंदी लेखपाल, 500 चकबंदीकर्ता, 200 सहायक चकबंदी अधिकारी व 100 चकबंदी अधिकारी हैं।
राजस्व परिषद में विलय का था प्रस्ताव
प्रदेश में मौजूदा समय काफी सालों बाद चकबंदी की प्रक्रिया शुरू हुई है। इसके बाद भी चकबंदी में कर्मियों की संख्या अधिक है और राजस्व विभाग में कर्मियों की संख्या दिनों-दिनों कम होती जा रही है। खासकर लेखपालों की भारी कमी है। उच्च स्तर पर विचार-विमर्श के दौरान यह मंथन हुआ था कि चकबंदी को राजस्व परिषद में विलय कर दिया जाए, लेकिन भारी विरोध के चलते ऐसा नहीं हुआ। इसके चलते अतिरिक्त कर्मियों के प्रतिनियुक्ति या सेवा स्थानांतरण के आधार पर समायोजन का फैसला किया गया है।
पद के अनुरूप काम करेंगे
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में राजस्व विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान चकबंदी में कार्यरत सरप्लस कर्मियों का मामला रखा गया था। सहमति बनी कि अतिरिक्त कर्मियों को राजस्व विभाग भेजकर पद के अनुरूप काम लिया जाए। विशेष सचिव राजस्व राम केवल ने इसके आधार पर शासनादेश जारी कर दिया है। इसके साथ ही कार्मियों की सूची भेजी गई है, जिससे समायोजित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाए। इनको रिक्त पदों पर भेजा जा रहा है। वहां स्थाई भर्ती होने के बाद इन्हें मूल विभाग में वापस कर दिया जाएगा।
उसी जिले में मिलेगी तैनाती
चकबंदी के कर्मियों की तैनाती उसी जिले में होगी जहां वो मौजूदा समय तैनात हैं। राजस्व विभाग में प्रतिनियुक्ति या सेवा स्थानांतरण के आधार पर तैनात किए गए कार्मिकों के सेवा संबंधी सभी अधिकार या नियम मूल विभाग के ही लागू होंगे, लेकिन वेतन भत्ते आदि का भुगतान राजस्व विभाग से ही किया जाएगा।
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