यूपी सरकार ने संपत्ति का ब्योरा न देने वालों की पदोन्नति रोकने का फैसला किया है। सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को 31 दिसंबर तक चल-अचल संपत्ति का ब्योरा मानव संपदा पोर्टल पर देना अनिवार्य कर दिया है।
यूपी सरकार ने संपत्ति का ब्योरा न देने वालों की पदोन्नति रोकने का फैसला किया है। सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को 31 दिसंबर तक चल-अचल संपत्ति का ब्योरा मानव संपदा पोर्टल पर देना अनिवार्य कर दिया है। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने शुक्रवार को सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव और विभागाध्यक्षों को भेजे निर्देश में कहा है कि ब्योरा न देने वालों को एक जनवरी 2024 के बाद होने वाली किसी भी डीपीसी में शामिल नहीं किया जाएगा।
ये प्रोन्नति कर्मचारियों और अधिकारियों को तब तक नहीं मिलेगी, जब तक उनके द्वारा जानकारी नहीं दी जाएगी। राज्य सरकार पहले भी चल-अचल संपत्ति का ब्योरा लेती रही है लेकिन ये पहला मौका है जब मानव संपदा पोर्टल पर इसे देना अनिवार्य किया गया है। इस व्यवस्था के शुरू होने से किसी भी अधिकारी और कर्मचारी की संपत्ति का ब्योरा ऑनलाइन देखा जा सकेगा। मालूम हो कि आईएएस और पीसीएस अफसरों को हर साल संपत्ति का ब्योरा देना होता है।
मगर पिछले कई साल से कर्मचारियों का ब्योरा हर साल लिया जाने लगा है। आईएएस और पीसीएस तो सम्पत्तियों का ब्योरा दे देते हैं, लेकिन कर्मी नहीं देते हैं। राज्य सरकार भ्रष्टाचार रोकना चाहती है। इसीलिए कर्मियों की सम्पत्ति का ब्योरा मानव सम्पदा पोर्टल पर देना अनिवार्य किया गया है। जो भी ब्योरा नहीं देगा उसके बारे में पता लगाया जाएगा कि ऐसा क्यों कर रहा है।
देखा जाएगा अभियुक्त का घटना से प्रत्यक्ष संबंध है या नहीं
डीजीपी मुख्यालय से समय-समय पर जारी अपने निर्देशों के क्रम में शुक्रवार को पुन निर्देशित किया कि सभी महत्वपूर्ण संस्थानों-प्रतिष्ठानों जैसे चिकित्सा, शिक्षा व विनिर्माण आदि में आकस्मिक दुर्घटनाओं में एफआईआर दर्ज करने से पहले यह सुनिश्चित किया जाएगा कि प्रार्थना पत्र में नामित अभियुक्त का घटना से प्रत्यक्ष संबंध है या नहीं।
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