शबे कद्र की चौथी ताक रात में खूब हुई इबादत
गोरखपुर। शिद्दत की धूप के बीच माह-ए-रमज़ान का 26वां रोजा अल्लाह की इबादत में बीता। मस्जिद व घरों में इबादतों का दौर जारी है। नमाज व कुरआन-ए-पाक की तिलावत हो रही है। मुल्क में अमनो अमान के लिए दुआ मांगी जा रही है। शबे कद्र की चौथी ताक रात में खूब इबादत व दुआ की गई। गुरुवार 20 अप्रैल को शबे कद्र की आखिरी ताक रात है। मस्जिदों में एतिकाफ जारी है। हर तरफ नूरानी समा है। बुजुर्ग, बच्चे व नौजवान इबादत में तल्लीन हैं।
चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर के इमाम मौलाना महमूद रज़ा कादरी ने बताया कि पैग़ंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि ईद तो दरअसल उन खुशनसीब मुसलमानों के लिए है जिन्होंने मुकद्दस रमज़ान को रोजा, नमाज और दीगर इबादतों में गुजारा। तो यह ईद उनके लिए अल्लाह की तरफ से मजदूरी मिलने का दिन है। ईद की नमाज से पहले सदका-ए-फित्र अदा कर देना चाहिए। कसरत से सदका व खैरात करें।
दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद मस्जिद नार्मल के इमाम मुफ्ती मुनव्वर रजा ने बताया कि जरूरतमंद लोगों की ईद को खुशगवार बनाने के लिए मुसलमानों को सदका-ए-फित्र देने का हुक्म दिया गया है। यह उन्हीं लोगों को दिया जा सकता है जो जकात के हकदार हैं यानी गरीब, मजलूम और मिस्कीन मुसलमान। ईद की नमाज पढ़ने से पहले अनाज या पैसे की शक्ल में इसे निकाल दिया जाए।
सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफरा बाजार के इमाम हाफिज रहमत अली निज़ामी ने बताया कि हदीस में है कि जब ईद-उल-फित्र की मुबारक रात तशरीफ लाती है तो इसे लैलतुल जाइजा यानी ईनाम की रात के नाम से पुकारा जाता है। ईदैन की रात यानी शबे ईद-उल-फित्र और शबे ईद-उल-अज़हा में सवाब के लिए खूब इबादत करनी चाहिए।
—————-
सिक्योरिटी डिपॉजिट में जमा रकम पर जकात लाज़िम : उलमा किराम
गोरखपुर। तंजीम उलमा-ए-अहले सुन्नत द्वारा जारी रमज़ान हेल्पलाइन नंबरों पर मंगलवार को सवाल-जवाब का सिलसिला जारी रहा। लोगों ने नमाज़, रोज़ा, जकात, फित्रा आदि के बारे में सवाल किए। उलमा किराम ने क़ुरआन ओ हदीस की रोशनी में जवाब दिया।
1. सवाल : सिक्योरिटी डिपॉजिट में रखी रकम पर जकात का क्या हुक्म है? (गुलाम मोहम्मद, इलाहीबाग)
जवाब : सिक्योरिटी डिपॉजिट में रखी रकम पर भी जकात फर्ज है। (मुफ्ती अख्तर हुसैन)
2. सवाल : शरीअत की नज़र में मुसाफिर कौन है और मुसाफिर किस वक्त से नमाज कस्र शुरू करे? (मनोव्वर अहमद, तुर्कमानपुर)
जवाब : शरीअत में मुसाफिर वह शख्स है जो तीन रोज की राह पर जाने के इरादा से बस्ती (अपने रहने के स्थान) से बाहर हुआ। खुश्की में तीन दिन की राह की मिकदार तकरीबन 92 किलोमीटर है। जब बस्ती की आबादी से बाहर हो जाए तो उस वक्त से नमाज में कस्र शुरू करे। जबकि (मुफ्ती मो. अजहर)
3. सवाल : रोजे की हालत में टूथपेस्ट करना कैसा? (आफताब, सूर्यविहार)
जवाब : रोजे की हालत में टूथपेस्ट करना मकरूह है, अगर उसका कोई जुज़ हलक में चला जाए तो रोजा टूट जाएगा। (कारी मो. अनस)
4. सवाल : क्या जकात रमज़ान में ही निकाली जा सकती है? (मोहसिन, खोखर टोला)
जवाब : जकात का ताल्लुक रमज़ान से नहीं बल्कि जकात की अदाएगी बकद्रे निसाब माल पर साल पूरा होने पर फ़र्ज़ हो जाती है। हां, अगर साल रमज़ान के बाद पूरा होता हो तो साल पूरा होने से पहले रमजान ही में दे दे तो इसमें सवाब ज़्यादा है। (मौलाना जहांगीर अहमद)
5. सवाल : भूल कर कुछ खा लिया तो रोजा टूटेगा या नहीं? (शहनवाज अहमद, मियां बाज़ार)
जवाब: नहीं। रोजा याद न होने की सूरत में भूल कर खाने से रोज़ा नहीं टूटता। हां याद आने पर फौरन रुक जाएं बल्कि मुंह में मौजूद लुकमा भी निकाल दें। (मुफ्ती मेराज)
6. सवाल : क्या औरत रोज़े की हालत में खाना चख सकती है? (शगुफ्ता, तुर्कमानपुर)
जवाब : अगर किसी औरत का शौहर जालिम या गुस्से वाला है कि खाने में कमीबेशी की सूरत में जुल्म करेगा तो ऐसी औरत रोज़े की हालत में खाना चख सकती हैं, लेकिन एहतियात लाज़िम होगा कि कोई हिस्सा हलक में न जाए। (मौलाना मोहम्मद अहमद)
कैंट थाना प्रभारी के नेतृत्व में पैदल गस्त कर क्षेत्र की जनता को दिलाया गया सुरक्षा का एहसास
*कैंट थाना प्रभारी के नेतृत्व में पैदल गस्त कर क्षेत्र की जनता को दिलाया गया सुरक्षा का एहसास* आगामी नगर निकाय चुनाव और नगर पंचायत चुनाव के एवं माफिया ब्रदर्स के हत्या होने के बाद पूरे यूपी में अलर्ट के बाद धारा 144 लगा दिया गया है जिसके मद्देनजर गोरखपुर एसएसपी के आदेशानुसार जनपद […]