नेकी कर आखिरत संवार रहे हैं रोजेदार
गोरखपुर। मुकद्दस रमज़ान का 12वां रोजा नमाज व कुरआन-ए-पाक की तिलावत में बीता।रोजेदार नेकी कर आखिरत संवार रहे हैं। चारों तरफ रौनक है। मस्जिद नमाजियों के सज्दे से आबाद है। घरों में इबादतों का दौर जारी है। कसरत से कलमा पढ़ा जा रहा है। पैग़ंबरे इस्लाम की बारगाह में दरूदो सलाम का नज़राना पेश किया जा रहा है। अल्लाह के बंदे दिन में रोजा रखकर व रात में तरावीह की नमाज पढ़कर अल्लाह की नेमतों का शुक्र अदा कर रहे हैं। मंगलवार को बेनीगंज ईदगाह में सामूहिक रोजा इफ्तार का आयोजन हुआ। सैकड़ों लोगों ने रोजा इफ्तार कर अमनो अमान की दुआ मांगी।
मकतब इस्लामियात तुर्कमानपुर के शिक्षक कारी मो. अनस रज़वी ने कहा कि रमज़ान में कोई शख्स किसी नेकी के साथ अल्लाह का करीबी बनना चाहे तो उसको इस कदर सवाब मिलता है गोया उसने फर्ज अदा किया। जिसने रमज़ान में फर्ज अदा किया उसको सवाब इस कदर है गोया उसने रमज़ान के अलावा दूसरे महीनों में सत्तर फर्ज अदा किए। रमज़ान सब्र का महीना है और सब्र का बदला जन्नत है। यह एक ऐसा महीना है कि जिसमें मोमिन का रिज्क बढ़ा दिया जाता है। जो इसमें किसी रोजेदार को इफ्तार कराए तो उसके गुनाह माफ कर दिए जाते हैं और उसकी गर्दन जहन्नम की आग से आजाद कर दी जाती है।
सुन्नी बहादुरिया जामा मस्जिद रहमतनगर के इमाम मौलाना अली अहमद ने बताया कि माह-ए-रमज़ान में एक रकात नमाज़ पढ़ने का सवाब 70 गुना हो जाता है। इसी पाक महीने में कुरआन-ए-पाक नाजिल हुआ। रमज़ान का मुबारक महीना और फिजा में घुली रूहानियत से दुनिया सराबोर हो रही है, ऐसा लगता है कि चारों तरफ नूर की बारिश हो रही हो। यह महीना बंदे को तमाम बुराइयों से दूर रखकर अल्लाह के करीब होने का मौका देता है। इस माह में रोजा रखकर रोजेदार न केवल खाने-पीने कि चीजों से परहेज करते हैं बल्कि तमाम बुराइयों से भी परहेज कर अल्लाह की इबादत करते हैं।
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नमाज़े तरावीह औरतों के लिए भी लाज़िम है : उलमा किराम
गोरखपुर। तंजीम उलमा-ए-अहले सुन्नत द्वारा जारी रमज़ान हेल्पलाइन नंबरों पर मंगलवार को सवाल-जवाब का सिलसिला जारी रहा। लोगों ने नमाज़, रोज़ा, जकात, फित्रा आदि के बारे में सवाल किए।
1. सवाल : क्या नमाजे तरावीह औरतों के लिए भी लाज़िम है? (अफरोज, सैयद आरिफपुर)
जवाब : जी हां। नमाज़े तरावीह औरतों के लिए भी सुन्नते मुअक्कदा (लाज़िम) है। (मौलाना मोहम्मद अहमद)
2. सवाल : रोजे की हालत में वुजू करते समय पानी हलक से नीचे उतर जाए तो? (नसीम, बसंतपुर)
जवाब: अगर रोज़ादार होना याद था और ये गलती हुई तो रोज़ा टूट जाएगा। (कारी मो. अनस)
3. सवाल : जकात की रकम किस्तों में दे सकते हैं? (आसिम, रहमतनगर)
जवाब : साल पूरा होने के बाद बिला उज्र ताखीर करना मकरूह है। हां अगर कोई शदीद मजबूरी हो कि रकम इकठ्ठी नहीं दे सकता तो किस्तों में भी देने से अदा हो जाएगी। (मुफ्ती मो. अजहर)
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