यूपी की योगी सरकार ने पंडित दीन दयाल उपाध्याय नगर विकास योजना में निकायों को कर्ज देने के लिए सेवा शर्तों में संशोधन कर दिया है।
राज्य सरकार ने पंडित दीन दयाल उपाध्याय नगर विकास योजना में निकायों को कर्ज देने के लिए सेवा शर्तों में संशोधन कर दिया है। निकायों को यह बताना होगा कि कर्ज वापसी से उनके यहां वेतन और पेंशन का संकट नहीं होगा।
नगर विकास विभाग पंडित दीन दयाल उपाध्याय नगर विकास योजना में निकायों को शहरी क्षेत्रों में विकास कराने के लिए कर्ज देता है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में 200 करोड़ रुपये बजट की व्यवस्था की गई है। इसे अत्यंत महत्वपूर्ण और तात्कालिक जरूरतों के आधार पर ब्याज रहित कर्ज के रूप में दिया जाता है। निकायों को इसे राज्य वित्त आयोग की धनराशि से तीन वर्ष के बाद 10 समान वार्षिक किस्तों में वापस करना होता है। राज्य वित्त आयोग मद से मुख्यत: अधिष्ठान मद जैसे वेतन और पेंशन आदि पर खर्च किया जाता है।
विशेष सचिव नगर विकास अमित कुमार सिंह द्वारा जारी शासनादेश में कहा गया है कि शासन को इस योजना में सांसद, विधायक और मंत्रियों के काफी संख्या में विकास कार्य के पत्र मिले हैं। इसीलिए निकायों को इस मद में पैसे लेने से पहले स्थिति स्पष्ट करते हुए तय मानक के अनुसार प्रस्ताव उपलब्ध कराने होंगे।
निकाय बोर्ड के स्पष्ट प्रस्ताव पास कराते हुए शासन को भेजना होगा। नए शेड्यूल ऑफ रेट पर कार्य योजना का मूल प्रस्ताव अधिशासी अभियंता के हस्ताक्षर से भेजना होगा। यह प्रमाण पत्र देना होगा कि राज्य वित्त आयोग से प्राप्त होने वाली धनराशि से यदि कर्ज की कटौती की जाती है तो निकाय कर्मियों के वेतन व पेंशन आदि पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। विकास के लिए जो भी प्रस्ताव भेजा जाएगा उसमें यह देखा जाएगा कि वह अन्य किसी योजना से आच्छादित न हो। शासन स्तर से इसके बाद ही अब इस योजना में निकायों को पैसा दिया जाएगा।
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