हज़रत अमीरे मुआविया का मनाया गया उर्स-ए-पाक
गोरखपुर। शनिवार को चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर, मकतब इस्लामियात तुर्कमानपुर, सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफ़रा बाजार में हज़रत सैयदना अमीरे मुआविया रदियल्लाहु अन्हु का उर्स-ए-पाक अदब के साथ मनाया गया। फातिहा ख्वानी हुई।
चिश्तिया मस्जिद में नायब काजी मुफ्ती मो. अजहर शम्सी व कारी मो. अनस रजवी ने कहा कि सहाबी-ए-रसूल अमीरुल मोमिनीन हज़रत मुआविया सच्चे आशिके रसूल व कातिबे वही थे। आप इस्लाम धर्म के पहले बादशाह थे। आपको अहले बैत से बहुत मोहब्बत थी। पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम आपसे बहुत मोहब्बत करते थे। आप मोमिनों के मामू भी हैं।
सब्जपोश हाउस मस्जिद के इमाम हाफिज रहमत अली निजामी ने कहा कि दूसरे खलीफा हज़रत सैयदना उमर फ़ारूक़ ने हज़रत अमीरे मुआविया को दमिश्क का गवर्नर मुक़र्रर किया। तीसरे खलीफा हज़रत सैयदना उस्मान के ज़माने में आपको सीरिया के पूरे इलाक़े का हाकिम बना दिया गया। हज़रत अमीरे मुआविया और हज़रत सैयदना इमाम हसन में समझौता हुआ और उसके बाद हज़रत मुआविया बा-क़ायदा तमाम इस्लामी मुल्क के खलीफा क़रार दिए गए। हज़रत मुआविया ने जालिम बादशाहों के तमाम खतरों को ध्यान में रखकर समंदरी फौज़ तैयार की। सैकड़ों जंगी नावें तैयार करायीं। थल सेना को पहले से ज़्यादा मज़बूत किया। मौसम के हिसाब से भी फौज़े तैयार की। कई मुल्क जीत लिए गए। इस्लामी हुकुमत का रक़बा बहुत फैल गया। कुस्तुन्तुनिया पर समुद्री हमला किया गया। इस हमले ने कुस्तुन्तुनिया (क़ैसर) की रही सही हिम्मत तोड़ दी ।
मकतब इस्लामियात के शिक्षक हाफिज सैफ रज़ा ने कहा कि हज़रत मुआविया के ज़माने में पूरी रियासत में सुख-शांति रही। नए-नए इलाक़ों पर विजय भी मिली। शिक्षक हाफिज अशरफ रज़ा ने कहा कि हज़रत मुआविया का स्वभाव इतना अच्छा था कि वे किसी के साथ कठोरता से पेश नहीं आते थे, लोग उन्हें उनके मुंह पर भी बुरा-भला कह जाते थे। वे अपने विरोधियों को भी इनाम और सम्मान देकर ख़ुश रखते थे। हज़रत सैयदना इमाम हसन, हज़रत सैयदना इमाम हुसैन और उनके ख़ानदान वालों के साथ उनका व्यवहार बहुत अच्छा था और बहुत तोहफे देते थे। आपके ज़माने में जनकल्याण के बहुत काम हुए। आपने शाम (सीरिया) के शहर दमिश्क़ को राजधानी बनाया। यह शहर मदीना और कूफ़ा के बाद इस्लामी ख़िलाफ़त की तीसरी राजधानी था। आपका विसाल 22 रजब 60 हिजरी में हुआ। आपका मजार दमिश्क़ (सीरिया) में है।
अंत में दरूदो सलाम पढ़कर मुल्क में अमन, शांति व भाईचारे की दुआ मांगी गई। उर्स में मौलाना महमूद रजा, ग़ौसे आज़म फाउंडेशन के जिलाध्यक्ष समीर अली, मो. अमन, मो. फैज, ज़ैद, मो. ज़ैद चिंटू, अमान अहमद, रियाज अहमद, अली गजनफर शाह आदि शामिल रहे।
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