हज़रत उमर ने हमेशा ग़रीबों वंचितों की सेवा की : मुफ्ती मेराज
गोरखपुर। दावते इस्लामी इंडिया की ओर से मुसलमानों के दूसरे ख़लीफा अमीरुल मोमिनीन हज़रत सैयदना उमर रदियल्लाहु अन्हु की याद में काजी साहब की मस्जिद इस्माइलपुर में साप्ताहिक सभा (इज्तिमा) हुई। क़ुरआन -ए-पाक की तिलावत इब्राहीम अत्तारी ने की। नात-ए-पाक अर्जान अत्तारी व आदिल अत्तारी ने पेश की। दुआ वसीउल्लाह अत्तारी ने की।
मुख्य वक्ता मौलाना कादरी ने कहा कि हज़रत सैयदना उमर पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के प्रमुख चार सहाबा (साथियों) में से हैं। आप मुसलमानों के पहले ख़लीफा हज़रत सैयदना अबू बक्र रदियल्लाहु अन्हु के बाद मुसलमानों के दूसरे खलीफा चुने गए। पैग़ंबरे इस्लाम ने आपको फारूक (सही व ग़लत में फ़र्क करने वाला) की उपाधि दी। पैग़ंबरे इस्लाम के उम्मतियों में आपका रुतबा हज़रत अबू बक्र के बाद आता है। हज़रत उमर जब ख़लीफा हुए तब एक नये दौर की शुरुआत हुई। दीन-ए-इस्लाम का खूब विस्तार हुआ। हजरत उमर की अदालत (न्यायप्रियता) जग जाहिर है। हज़रत उमर अहले बैत से बहुत मोहब्बत करते थे। आपकी शहादत 1 मुहर्रम 24 हिजरी को हुई।
वहीं जुमा की तकरीर के दौरान मरकजी मदीना जामा मस्जिद रेती चौक में मुफ्ती मेराज अहमद कादरी ने कहा कि हज़रत उमर ने सन् हिजरी इस्लामी कैलेंडर का निर्माण किया। हजरत उमर असाधारण इच्छा शक्ति, बुद्धि, राजनीतिक, निष्पक्षता, न्याय और गरीबों और वंचितों लोगों के लिए देखभाल के लिए अच्छी तरह से जाने जाते हैं।
सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफरा बाज़ार में हाफिज रहमत अली निजामी ने जुमा तकरीर में कहा कि हज़रत सैयदना उमर के बारे मे यूरोपीय लेखकों ने कई किताबें लिखी हैं तथा ‘उमर महान’ की उपाधि दी है। प्रसिद्ध लेखक माइकल एच. हार्ट ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘दि हन्ड्रेड’ में हज़रत उमर को शामिल किया है।
चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर में मौलाना महमूद रज़ा कादरी ने जुमा तकरीर में कहा कि पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने एक शाम काबे के पास जाकर अल्लाह से दुआ की कि या अल्लाह उमर को या अबू जहल दोनों में से जो तुझको प्यारा हो हिदायत दे। यह दुआ हज़रत उमर के हक़ में क़बूल हुई। हज़रत उमर इस्लाम में दाखिल हो गये। मुसलमानों में खुशी की लहर दौड़ गई। इस्लाम लाने पर हज़रत उमर ने ऐलान किया कि अब सब मिल कर काबा शरीफ़ में नमाज़ पढ़ेंगे।
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