22 मई से शुरू हुई MBBS की परीक्षाओं में कथित रूप से पेपर लीक का मामला फर्जी निकला। शिकायतों के बाद चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की जांच में विशेषज्ञों ने छात्रों के दावों को खारिज कर दिया।
22 मई से शुरू हुई एमबीबीएस की परीक्षाओं में कथित रूप से पेपर लीक का मामला फर्जी निकला। शिकायतों के बाद चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय द्वारा कराई जांच में विशेषज्ञों ने छात्रों के दावों को खारिज कर दिया। छात्रों ने पेपर शुरू होने से ठीक दो घंटे पहले वाट्सएप ग्रुप में चार प्रश्नों को शेयर करने का दावा किया था। दावा था कि ईएनटी सप्लीमेंट्री के स्टूडेंट ने ग्रुप में शेयर चार प्रश्नों को देखने को कहा गया था और ये सब परीक्षा में पूछे गए।
यह है मामला
विवि में 22 मई को एमबीबीएस के पेपर शुरू हुए। 23 मई को कुलपति, परीक्षा नियंत्रक को एमबीबीएस छात्रों द्वारा ईमेल भेजी गई। इसमें छात्रों ने दावा किया कि ईएनटी, ऑप्थोमोलॉजी, मेडिसन-1 और दो तथा अन्य विषयों के पेपर लीक हो रहे हैं। छात्रों ने द्वितीय सप्लीमेंट्री के पेपर भी लीक होने का दावा किया।
छात्रों ने इस खेल में तीन निजी कॉलेजों के छात्रों के शामिल होने का हवाला लिया। दावा किया कि पेपर से ठीक पहले प्रश्न उपलब्ध कराए जा रहे हैं। छात्रों ने ’इन्फो ग्रुप एमबीबीएस 2019’ नाम के वाट्सएप ग्रुप में एक छात्र द्वारा परीक्षा से दो घंटे पहले चार प्रश्नों को शेयर करने का स्क्रीन शॉट भी ईमेल में भेजा। इसमें चार प्रश्न संक्षिप्त लिखे गए थे। छात्रों ने इन प्रश्नों के परीक्षा में आने और अधिकांश के इन्हीं के हल करने का दावा भी किया।
विवि ने जांच कराई, लेकिन गलत निकला दावा
शिकायत की गंभीरता देखते हुए कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला ने जांच कराई। विशेषज्ञ समिति ने जांच की तो छात्रों के दावे गलत निकले। विशेषज्ञों ने कहा जिन चार सवालों का हवाला दिया गया है उसमें से एक हर साल हर पेपर में पूछा जाता है। बाकी तीन सवाल भी ऐसे हैं जो किसी ना किसी रूप में परीक्षा में पूछे जा रहे हैं। विशेषज्ञों ने कहा पेपर में कुल सवालों के सापेक्ष चार सवाल कुछ भी नहीं हैं। विशेषज्ञों ने पेपर लीक के दावे को खारिज कर दिया। हालांकि कुछ दिन बाद ही इसमें नया मोड़ भी आ गया है। विवि प्रशासन के अनुसार पेपर लीक की यह अफवाह केवल परीक्षाएं हटवाने की साजिश का नतीजा थी। निजी कॉलेजों के छात्र पेपर स्थगित कराना चाह रहे थे। पेपर लीक गलत साबित होने पर छात्रों ने पेपर कराने पर शासन को शिकायत भी की।
एमबीबीएस ने किया सबसे ज्यादा नुकसान
एमबीबीएस की परीक्षाओं ने विवि की छवि को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। 2009 में बीडीएस के पेपर आउट से तत्कालीन रजिस्ट्रार पर शासन ने कार्रवाई की थी। इसके बाद अलग-अलग वर्षों में बीडीएस-एमबीबीएस के कई बार पेपर आउट हुई। पूर्व कुलपति प्रो.एनके तनेजा ने सख्ती की और मुजफ्फरनगर में 19 एमबीबीएस छात्रों को डिवाइस से नकल करते पकड़ा। प्रो.तनेजा के कार्यकाल में दो सौ से ज्यादा एमबीबीएस छात्रों को नकल में दबोचते हुए कार्रवाई की गई। हालांकि एसटीएफ ने इसी दौरान एमबीबीएस की कॉपी परीक्षा के बाद लिखने का भंडाफोड़ भी किया था।
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